अगर मौत इलाज है जिंदगी का, तो फिर जीना क्या है?
तकदीर खुदा ने लिखी है, तो फिर मेरा गुनाह क्या है?
ज़िन्दगी भर कमाया है मैंने, मगर साथ ले जाना क्या है?
मेरे अपने ही मुझे छोड़ आयेंगे एक दिन,तो फिर सोचना क्या है?
*****आशीष रसीला*****

अगर मौत इलाज है जिंदगी का, तो फिर जीना क्या है?
तकदीर खुदा ने लिखी है, तो फिर मेरा गुनाह क्या है?
ज़िन्दगी भर कमाया है मैंने, मगर साथ ले जाना क्या है?
मेरे अपने ही मुझे छोड़ आयेंगे एक दिन,तो फिर सोचना क्या है?
*****आशीष रसीला*****
Lovely poetry
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सत्य 👍👍
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