उम्र भर की कमाई से आज कुछ खास खरीदते है,
तुम सही दाम लगाओ तो हम अपना ख्वाब खरीदते है।
उम्र बीती है समझदारी के ढोंग में,
हम अपनी सारी दौलत के बदले कुछ खिलोने खरीदते है।
कुछ बचा नहीं है तो हम ताउम्र को दाव पर लगाते है,
इसके बदले हम तुमसे बचपन के चंद लम्हे खरीदते है।।
***आशीष रसीला***
