अर्ज़ किया है
————–
वो फूल सी नाज़ुक है खुश्बू का व्यापार करती है,
वो नदी सी मुड़ती है आंखो में आसमान रखती है।
खुदा भी जिसकी एक झलक पाने को तड़पता है,
वो चांद तारों की सौगात को अपनी मुठ्ठी में रखती है।।
***आशीष रसीला***
अर्ज़ किया है
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वो फूल सी नाज़ुक है खुश्बू का व्यापार करती है,
वो नदी सी मुड़ती है आंखो में आसमान रखती है।
खुदा भी जिसकी एक झलक पाने को तड़पता है,
वो चांद तारों की सौगात को अपनी मुठ्ठी में रखती है।।
***आशीष रसीला***
सुंदर परिचय।
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Bahut khub ,truly appreciate
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Thank you ji
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