हर तरफ शोर मचा रहे लोग बहरे निकले,
मेरे अपनों के चेहरों पर दुश्मनों के चेहरे निकले ।
समुंदरों ने मुझे प्यासा रख कर ही मार डाला,
सब समुंदरो के पानी खारे निकले।
मैं अंधेरों को मिटाने निकला था घर से,
मगर उनकी चोखट पर ही रोशनियों के पहरे निकले।।
***आशीष रसीला***