मैं बन्द आंखो का एक बुझा उजाला बन गया हूं,
मैं मौत के मीठे जहर का एक प्याला बन गया हूं।
अय ख़ुदा मुझे मेरी मंजिल का पता बता दे तू ?
मैं आज तूफान से हवा का झूठा हवाला बन गया हूं।।
***आशीष रसीला**

मैं बन्द आंखो का एक बुझा उजाला बन गया हूं,
मैं मौत के मीठे जहर का एक प्याला बन गया हूं।
अय ख़ुदा मुझे मेरी मंजिल का पता बता दे तू ?
मैं आज तूफान से हवा का झूठा हवाला बन गया हूं।।
***आशीष रसीला**