ये वतन से दिल ही कुछ खास लगा बैठें है,
कुछ मुहब्बत में वतन पर जान लुटा बैठें है।
यहां का ज़रा -,ज़रा तैयार रहता है वतन पर मिटने को,
ये मौत से नहीं डरते, ये जान हथेली पर रख कर बैठें है।।
***आशीष रसीला***

ये वतन से दिल ही कुछ खास लगा बैठें है,
कुछ मुहब्बत में वतन पर जान लुटा बैठें है।
यहां का ज़रा -,ज़रा तैयार रहता है वतन पर मिटने को,
ये मौत से नहीं डरते, ये जान हथेली पर रख कर बैठें है।।
***आशीष रसीला***
बहुत खूब।
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Nice👌👌
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