एक ज़िन्दगी में खुद को समझ पाना नामुमकिन है,
जब खुद में उलझे रहते हो, किसी ओर को समझ पाना नामुमकिन है।
ये दौलत, ये शोहरत तुम जिदंगी भर कमा सकते हो,
मगर कुछ भी साथ ले जाना तो नामुमकिन है ।
तुम खरीदों तो शायद पूरा शहर खरीद लो,
मगर ज़िन्दगी खरीद पाना नामुमकिन है।
हजारों शिकायतें रहती है हमको दूसरों से,
मगर खुद को सही कहना भी नामुमकिन है।
***आशीष रसीला***
