ज़िन्दगी खुशकिस्मत है मगर फिर भी उदास है,
कल से तूने आईना नहीं देखा, कुछ तो बात है ।
वक्त की जुंबिश में तू रुक सा गया है क्यूं?
ये कैसी रात है, सूरज भी निकला है चांद भी साथ है।।
***आशीष रसीला***

ज़िन्दगी खुशकिस्मत है मगर फिर भी उदास है,
कल से तूने आईना नहीं देखा, कुछ तो बात है ।
वक्त की जुंबिश में तू रुक सा गया है क्यूं?
ये कैसी रात है, सूरज भी निकला है चांद भी साथ है।।
***आशीष रसीला***
वक्त की जुंबिश में तू रुक सा गया है क्यूं?
चल वक्त से आगे निकल तू रुक सा गया है क्यूं?
क्या बात है
शुभाशीष
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Thank you ji
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