मैं मर ही जाता तेरी बद्दुआओं के चलते ,
मुझे मेरी माँ की दुवाओं ने संभाल रखा है ।
मैं फकत टूट कर गिरने ही वाला था ,
मेरा हाथ मेरे अब्बा ने थाम रखा है ।
मुझे तेरी इस दुनियां में रहने का कोई शोक नहीं ,मगर
मेरे वजूद के लिए माँ ने अपनी सांसों को गिरवी रखा है।।
*** आशीष रसीला ***
