पहली बार काग़ज़ को आईने सा निहारा है,
तेरी तस्वीर को नज़्म बना काग़ज़ पर उतारा है ।
चमक उठेगा काग़ज़ का नसीब यकीन मानो ,
कागज़ के पन्ने पर हमने आज चांद उतारा है । ।
आशीष रसीला
पहली बार काग़ज़ को आईने सा निहारा है,
तेरी तस्वीर को नज़्म बना काग़ज़ पर उतारा है ।
चमक उठेगा काग़ज़ का नसीब यकीन मानो ,
कागज़ के पन्ने पर हमने आज चांद उतारा है । ।
आशीष रसीला