मुझे ढूंढने की कोशिश में वो जरूर आएगी,
आंखें मलती हुई खाली हाथ लौट जाएगी।
मेरे कमरे में बस भिखरी हुई किताबें होंगी,
वो हमेशा की तरह उन्हें सजाकर लौट जाएगी।
मुमकिन है कुछ आदतें मेरी अब भी जिंदा हो,
किताबों की धूल उसके बदन से लिपट जाएगी।
तुम हमेशा की तरह इस बार नाराज मत होना।
ये मेरी पुरानी आदत है आसानी से नहीं जाएगी।।
आशीष रसीला
