पैसा वो है जो किसी औकात खरीद ले,
पैसे वो है जो लोगों के दिन रात खरीद ले ।
ये दुनियां बिकने को बाजार मैं बैठी है,
अपनी जरूरत के हिसाब से यार खरीद ले।
आज होती हैं शादियां पैसों के शानो पर ,
पैसा है तो चाहे हमसफर हजार खरीद ले।
शर्म के बाजार में लोग खुदकी कीमत लगाते हैं,
सही दाम लगाए तो लोगों के जमीर खरीद ले।
जिस आसमान में तुम उड़ान ना भर सको,
पैसा है तो अपना नया आसमान खरीद ले।
कोई फर्क नहीं पड़ता की तू क्या था ,
पैसा है तो अपनी नई पहचान खरीद ले ।
मरते हैं भूख से लोग इन मंदिरों के बाहर,
पैसा है तो चाहे अपना भगवान खरीद ले ।
इस दुनियां में हर एक चीज की कीमत है,
मुंह मांगे दाम पर यहां इंसान खरीद ले।
माना सबकुछ बिकता है इस दुनिया में, मगर
कोई ऐसी दौलत नहीं जो मां का प्यार खरीद ले।।
आशीष रसीला