वो खुदा का बनाया इंसान है उसे खुदा ना कह ,
जो हजारों मंदिरों-मस्जिदों में रहे उस खुदा ना कह..
सिर्फ इंसान की इंसानियत उसे इंसान बनाती है ,
इंसानियत नहीं हो जिसमें उसे इंसान ना कह..
हर ग़ज़ल मेरी वारदात है जो हम पर गुजरी ,
मेरे हर शेर को सुनकर उसे अच्छा ना कह..
इस दो दिन की जिंदगी ने होश उड़ा डालें हैं,
अब कुछ और दो दिन जीने को अच्छा ना कह..
बात सिर्फ एक बोसे की होती तो बेहतर होता,
जिस्मानी तिश्नगी में तड़पते दिल को मुहब्बत ना कह..
मैं बहुत रोया अपनी बेवफ़ाई की माफ़ी मांग कर,
तुमने माफ़ ना किया तो खुदको अच्छा ना कह..
इन अंधेरों की पीठ पर उजाले आराम करते हैं ,
शायर हर बात पर अंधेरों को यूं मुज़िर ना कह..
आशीष रसीला
