मैंने मां के सिवा दुनिया के हर रिश्ते को बदलते देखा है,
रोशनी को देख खुद के साये तक को मेरे पिछे छिपते देखा है।
मौत अाई थी मुझको लेने एक दिन,
मैंने माँ को मेरे पहरे पर खड़े देखा है।
तुम पूछते हो कि हम क्या लिखते हैं ,हम खुदा को जमीं पर ला कर उसके गुनाहों की दास्तान लिखते हैं | पंख टूट कर गिर जाने वाले परिंदे के अरमान लिखते हैं || ये आंधियां अपनी औकात मे रहें इसलिए हम तूफान लिखते हैं|| अब इससे ज्यादा और क्या कहूँ मेरे हुज़ूर हम अपने दुश्मन को ही अपनी जान लिखते है||
मैंने मां के सिवा दुनिया के हर रिश्ते को बदलते देखा है,
रोशनी को देख खुद के साये तक को मेरे पिछे छिपते देखा है।
मौत अाई थी मुझको लेने एक दिन,
मैंने माँ को मेरे पहरे पर खड़े देखा है।
👌👌👍सत्य
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Thank
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Wlcm🙏
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कुछ शब्दों में ही सब कुछ कह दिया आपने।
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