ये बूढ़ा अंधा दरख़्त, मुसाफिरों को रास्ता दिखाता है,
इसके चहरे पर पड़ी झुर्रियां उसका तजुर्बा बताता है।
तुम उसकी आंखों में अपना चेहरा मत देखना,
ये बूढ़ा आईना हमेशा सच बताता है।
***आशीष रसीला***

ये बूढ़ा अंधा दरख़्त, मुसाफिरों को रास्ता दिखाता है,
इसके चहरे पर पड़ी झुर्रियां उसका तजुर्बा बताता है।
तुम उसकी आंखों में अपना चेहरा मत देखना,
ये बूढ़ा आईना हमेशा सच बताता है।
***आशीष रसीला***